Khabar Global

Rajnath Singh: अंतराष्ट्रीय मंच पर भारत की आवाज SCO सम्मेलन में भूमिका

अंतराष्ट्रीय मंच पर भारत की आवाज: SCO सम्मेलन में राजनाथ सिंह की भूमिका

rajnath singh
Image Source: PIB

Rajnath Singh जी के द्वारा संयुक्त्त बयान पर हस्ताक्षर पे ‘ना’

26-27 जून 2025 को चीन के किंगदाओ शहर में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के रक्षा मंत्रियो की बैठक में भारत के रक्षा मंत्री Rajnath Singh ने बेहद प्रमुख भूमिका निभाई। उन्होनें चीन एवं पाकिस्तान द्वारा संयुक्त बयान में पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले का उल्लेख बयान में शामिल न करने का विरोध जताया है।

भारत के रक्षा मंत्री जी ने “ओपरेशन सिंदूर” का हवाला देते हुए कहते हैं की “आतंकवाद के केंद्र अब सुरक्षित नहीं है और हम उन्हें निशाना बनानें में संकोच नहीं करेंगें”

चीन की अध्यक्षता में यह SCO बैठक समाप्त हुई बिना किसी साझा बयान के (“Seamless stance on cross-border terrorism”), क्योंकि भारत ने स्पष्ट कर दिया था कि सिमा पार आतंकवाद पर निर्बाध रुख ही स्वीकार्य है।

पाकिस्तान के खिलाफ टिप्पणी और ‘दोहरे मापदंडो’ की आलोचना

SCO बैठक में Rajnath Singh जी पाकिस्तान पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि “कुछ देश सीमा पार आंतकवाद को अपनी नीति के साधन के रुप में इस्तेमाल करते हैं और आतंकवादियों को आश्रय देते हैं”

उन्होंने दोहरे मापदंडोंकी आलोचना करते हुए जोर देकर कहा कि आतंकी ठिकानों को वित्तीय और राजनीतिक रुप से सहायता देने वालों को “जवाबदेह ठहराना” चाहिए।

SCO सम्मेलन में पाकिस्तान को ‘ताकत’ से टक्कर

मिटिंग हॉल में भारत-पाकिस्तान मंत्रियों के बिच कोई औपचारिक अभिवादन तक नहीं हुआ। Rajnath Singh और उनके पाकिस्तानी समकक्ष ख्वाजा आसिफ अलग-अलग प्रवेश किए और ग्रुप फोटो सत्र में भी कोई बातचीत नहीं हुई। इस शांत परस्पर विरोधाभासी टोन ने स्पष्ट किया कि जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा की सीमा पार हुई गतिविधियों के खौफ ने दोनों देशों के बीच राजनयिक दूरी को गहरा कर दिया है।

रूस से वार्ता और भारत–रूस रणनीतिक साझेदारी

चीन में SCO सम्मेलन के दौरान Rajnath Singh जी की रूसी रक्षा मंत्री आंद्रेई बेलओसोव से महत्वपूर्ण बैठक हुई। बैठक में बेलओसोव ने भारत को “ब्लॉक के लिए एक अत्यंत महत्वपूर्ण रणनीतिक साझेदार” बताते हुए स्पष्ट किया कि रक्षा और सुरक्षा तकनीक के क्षेत्रों में भारत–रूस संबंध “मजबूत” और “परंपरागत मित्रता” पर आधारित हैं।

‘ऑपरेशन सिंदूर’ और आतंकी ढाँचे का खात्मा

बैठक में Rajnath Singh जी ने भारत में हाल ही में लॉन्च हुआ ‘ऑपरेशन सिंदूर’ का ज़िक्र किया—जहां पहलगाम हमले की जड़ को काटने के लिए सीमा पार आतंकवादी ठिकानों को नष्ट किया गया था। उन्होंने स्पष्ट किया कि आतंकवाद और शांति-साथ-साथ नहीं चल सकते।

निचे दिए गए विडिओ में भारत के Rajnath Singh जी क़े द्वारा दिया गया स्टेटमेन्ट है,

यह पृष्ठभूमि क्यों मायने रखती है?

चीन और रूस जैसे दबंग देशों के बीच के मंच पर भारत का इस तरह विरोध जताना इस बात का संकेत है कि आतंकवाद पर सहमति और प्रतिक्रिया अब बहुपक्षीय दलों में अहम हो चुकी है। भारत ने विश्व को संदेश भेजा है कि किसी भी आतंकवादी घटना का मौन सत्यापन या तोड़–तोड़ स्वीकार्य नहीं है।

Rajnath Singh जी ने दुहराया कि सीमा पार आतंकवाद को पोषित करते रहने वालों को जिम्मेवार ठहराया जाना चाहिए। यह बयान सामरिक दृष्टिकोण से भारत की नीति में बदलाव दर्शाता है—जहां अब ये मुद्दे

“कूटनीतिक व राजनीतिक मुलाक़ातों” में प्राथमिकता से शामिल होंगे।

रूसी रक्षा मंत्री के साथ हुई चर्चा से स्पष्ट हुआ कि भारत–रूस दोहरे रणनीतिक रूप से जुड़े हैं। यह आधुनिक रक्षा और तकनीकी साझेदारी को मजबूत करने का संकेत भी है।

लेख के मुख्य बिंदु (सारांश)

  1. मसौदा बयान पर हठ: भारत ने पहलगाम हमले सहित सीमा पार आतंकवाद को दस्तावेज़ में शामिल करने की माँग की, जिसका मसौदा चीन–पाक ने विफल कर दिया। इसके कारण साझा बयान नहीं हुआ।
  2. राजनैतिक दूरी: भारत–पाकिस्तान मंत्रियों के बीच सम्मेलन में कोई मेल-मिलाप नहीं हुआ—राजनीतिक दूरी और बढ़ी।
  3. कड़े बयानों की वापसी: राज्यसभा में राजनाथ सिंह की पाक और चीन पर तीखी टिप्पणी, दोहरे मापदंडों की आलोचना स्पष्ट है।
  4. ऑपरेशन ‘सिंदूर’: सीमापार ठिकानों पर हुई कार्रवाई का व्यापक उल्लेख, आतंकवाद के खिलाफ रणनीतिक कदम की पुष्टि करता है।
  5. रूस की साझेदारी: सम्मेलन में रूसी मंत्री के साथ रणनीतिक डील का संकेत, भारत–रूस रक्षा साझेदारी मजबूत हुई।

विश्लेषण: इसका भविष्य क्या होगा?

निष्कर्ष

25–27 जून 2025 के SCO रक्षा मंत्रियों के सम्मेलन में रक्षा मंत्री Rajnath Singh जी ने भारत के रुख को “साफ़, दृढ़ और असरदार” तरीके से पेश किया है। पहलगाम हमले की संवेदनशीलता, सीमा पार आतंकवाद की चुनौती और ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की कार्रवाइयों को लेकर भारत का स्पष्ट संदेश अब साफ़ है—भारत ठोस शब्दों और कारवाइयों में मिशाल बनकर उभरा है।

यह घटना न सिर्फ भारत की राजनैतिक ‍मजबूती को दिखाती है, बल्कि यह भी जताती है कि भारत अब कूटनीतिक मोर्चों पर सिर्फ भागीदार नहीं, बल्कि निर्णायक भूमिका निभाने वाला सक्रिय खिलाड़ी बनकर सामने आया है।

“मैं Naresh Bhabhor, Khabar Global ब्लॉग का संस्थापक और लेखक हूँ। मेरा उद्देश्य पाठकों को राजनीति, तकनीक, खेल और वैश्विक मुद्दों पर सटीक, विश्वसनीय और अपडेटेड समाचार प्रदान करना है। यदि आपको मेरा ब्लॉग पसंद आए, तो कृपया ब्लॉग को सब्सक्राइब करें और साझा करें।”

 

Exit mobile version